Surah At-Takwir
بِسْمِ اللّٰهِ الرَّحْمٰنِ الرَّحِيْمِ
اِذَا الشَّمْسُ كُوِّرَتْۖ١
Iżasy-syamsu kuwwirat.
[1]
जब सूर्य लपेट दिया जाएगा।
وَاِذَا النُّجُوْمُ انْكَدَرَتْۖ٢
Wa iżan-nujūmunkadarat.
[2]
और जब सितारे प्रकाश रहित हो जाएँगे।
وَاِذَا الْجِبَالُ سُيِّرَتْۖ٣
Wa iżal-jibālu suyyirat.
[3]
और जब पर्वत चलाए जाएँगे।
وَاِذَا الْعِشَارُ عُطِّلَتْۖ٤
Wa iżal-‘isyāru ‘uṭṭilat.
[4]
और जब गाभिन ऊँटनियाँ छोड़ दी जाएँगी।
وَاِذَا الْوُحُوْشُ حُشِرَتْۖ٥
Wa iżal-wuḥūsy ḥusyirat.
[5]
और जब जंगली जानवर एकत्रित किए जाएँगे।
وَاِذَا الْبِحَارُ سُجِّرَتْۖ٦
Wa iżal-biḥāru sujjirat.
[6]
और जब सागर भड़काए जाएँगे।1
1. (1-6) इनमें प्रलय के प्रथम चरण में ब्रह्मांड में जो उथल-पुथल होगी, उसको दिखाया गया है कि आकाश, धरती और पर्वत, सागर तथा जीव जंतुओं की क्या दशा होगी। और माया मोह में पड़ा इनसान इसी संसार में अपने प्रियवर धन से कैसा बेपरवाह हो जाएगा। वन पशु भी भय के मारे एकत्र हो जाएँगे। सागरों के जल-प्लावन से धरती पर जल ही जल दिखाई देगा।
وَاِذَا النُّفُوْسُ زُوِّجَتْۖ٧
Wa iżan-nufūsu zuwwijat.
[7]
और जब प्राण मिला दिए जाएँगे।
وَاِذَا الْمَوْءٗدَةُ سُىِٕلَتْۖ٨
Wa iżal-mau'ūdatu su'ilat.
[8]
और जब जीवित गाड़ी गई लड़की से पूछा जाएगा।
بِاَيِّ ذَنْۢبٍ قُتِلَتْۚ٩
Bi'ayyi żambin qutilat.
[9]
कि वह किस अपराध के कारण मारी गई?
وَاِذَا الصُّحُفُ نُشِرَتْۖ١٠
Wa iżaṣ-ṣuḥufu nusyirat.
[10]
तथा जब कर्मपत्र (आमाल नामे) फैला दिए जाएँगे।
وَاِذَا السَّمَاۤءُ كُشِطَتْۖ١١
Wa iżas-samā'u kusyiṭat.
[11]
और जब आकाश उधेड़ दिया जाएगा।
وَاِذَا الْجَحِيْمُ سُعِّرَتْۖ١٢
Wa iżal-jaḥīmu su‘‘irat.
[12]
और जब जहन्नम दहकाई जाएगी।
وَاِذَا الْجَنَّةُ اُزْلِفَتْۖ١٣
Wa iżal-jannatu uzlifat.
[13]
और जब जन्नत क़रीब लाई जाएगी।
عَلِمَتْ نَفْسٌ مَّآ اَحْضَرَتْۗ١٤
‘Alimat nafsum mā aḥḍarat.
[14]
तो प्रत्येक प्राणी जान लेगा कि वह क्या लेकर आया है।2
2. (7-14) इन आयतों में प्रलय के दूसरे चरण की दशा को दर्शाया गया है कि इनसानों की आस्था और कर्मों के अनुसार श्रेणियाँ बनेंगी। नृशंसितों (मज़लूमों) के साथ न्याय किया जाएगा। कर्म-पत्र खोल दिए जाएँगे। नरक भड़काई जाएगी। स्वर्ग सामने कर दिया जाएगा। और उस समय सभी को वास्तविकता का ज्ञान हो जाएगा। इस्लाम के उदय के समय अरब में कुछ लोग पुत्रियों को जन्म लेते ही जीवित गाड़ दिया करते थे। इस्लाम ने नारियों को जीवन प्रदान किया। और उन्हें जीवित गाड़ देने को घोर अपराध घोषित किया। आयत संख्या 8 में उन्हीं नृशंस अपराधियों को धिक्कारा गया है।
فَلَآ اُقْسِمُ بِالْخُنَّسِۙ١٥
Falā uqsimu bil-khunnas(i).
[15]
मैं क़सम खाता हूँ पीछे हटने वाले सितारों की।
الْجَوَارِ الْكُنَّسِۙ١٦
Al-jawāril-kunnas(i).
[16]
चलने वाले, छिप जाने वाले तारों की।
وَالَّيْلِ اِذَا عَسْعَسَۙ١٧
Wal-laili iżā ‘as‘as(a).
[17]
और रात की (क़सम), जब वह आती और जाती है।
وَالصُّبْحِ اِذَا تَنَفَّسَۙ١٨
Waṣ-ṣubḥi iżā tanaffas(a).
[18]
तथा सुबह की, जब वह रौशन होने लगे।
اِنَّهٗ لَقَوْلُ رَسُوْلٍ كَرِيْمٍۙ١٩
Innahū laqaulu rasūlin karīm(in).
[19]
निःसंदेह यह (क़ुरआन) एक आदरणीय संदेशवाहक की लाई हुई वाणी है।
ذِيْ قُوَّةٍ عِنْدَ ذِى الْعَرْشِ مَكِيْنٍۙ٢٠
Żī quwwatin ‘inda żil-‘arsyi makīn(in).
[20]
जो शक्तिशाली है, अर्श (सिंहासन) वाले के पास उच्च पद वाला है।
مُّطَاعٍ ثَمَّ اَمِيْنٍۗ٢١
Muṭā‘in ṡamma amīn(in).
[21]
उसकी वहाँ (आसमानों में) बात मानी जाती है और बड़ा विश्वसनीय है।3
3. (15-21) तारों की व्यवस्था गति तथा अँधेरे के पश्चात् नियमित रूप से उजाला की शपथ इस बात की गवाही है कि क़ुरआन ज्योतिष की बकवास नहीं। बल्कि यह ईश-वाणी है। जिसको एक शक्तिशाली तथा सम्मान वाला फ़रिश्ता लेकर मुह़म्मद सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम के पास आया। और अमानतदारी से इसे पहुँचाया।
وَمَا صَاحِبُكُمْ بِمَجْنُوْنٍۚ٢٢
Wa mā ṣāḥibukum bimajnūn(in).
[22]
और तुम्हारा साथी कोई दीवाना नहीं हैं।
وَلَقَدْ رَاٰهُ بِالْاُفُقِ الْمُبِيْنِۚ٢٣
Wa laqad ra'āhu bil-ufuqil-mubīn(i).
[23]
और निश्चय उन्होंने उस (जिबरील) को स्पष्ट क्षितिज पर देखा है।
وَمَا هُوَ عَلَى الْغَيْبِ بِضَنِيْنٍۚ٢٤
Wa mā huwa ‘alal-gaibi biḍanīn(in).
[24]
और वह परोक्ष (ग़ैब) की बातें बताने में कृपण नहीं हैं।4
4. (22-24) इनमें यह चेतावनी दी गई है कि महा ईशदूत (मुह़म्मद सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम) जो सुना रहे हैं, और जो फ़रिश्ता वह़्य (प्रकाशना) लाता है, उन्होंने उसे देखा है। वह परोक्ष की बातें प्रस्तुत कर रहे हैं, कोई ज्योतिष की बात नहीं, जो धिक्कारे शौतान ज्योतिषियों को दिया करते हैं।
وَمَا هُوَ بِقَوْلِ شَيْطٰنٍ رَّجِيْمٍۚ٢٥
Wa mā huwa biqauli syaiṭānir rajīm(in).
[25]
और यह (क़ुरआन) किसी धिक्कारे हुए शैतान की वाणी नहीं है।
فَاَيْنَ تَذْهَبُوْنَۗ٢٦
Fa aina tażhabūn(a).
[26]
फिर तुम कहाँ जा रहे हो?
اِنْ هُوَ اِلَّا ذِكْرٌ لِّلْعٰلَمِيْنَۙ٢٧
In huwa illā żikrul lil-‘ālamīn(a).
[27]
यह तो समस्त संसार वालों के लिए एक उपदेश है।
لِمَنْ شَاۤءَ مِنْكُمْ اَنْ يَّسْتَقِيْمَۗ٢٨
Liman syā'a minkum ay yastaqīm(a).
[28]
उसके लिए, जो तुममें से सीधे मार्ग पर चलना चाहे।
وَمَا تَشَاۤءُوْنَ اِلَّآ اَنْ يَّشَاۤءَ اللّٰهُ رَبُّ الْعٰلَمِيْنَ ࣖ٢٩
Wa mā tasyā'ūna illā ay yasyā'allāhu rabbul-‘ālamīn(a).
[29]
तथा तुम कुछ नहीं चाह सकते, सिवाय इसके कि सर्व संसार का पालनहार अल्लाह चाहे।5
5. (27-29) इन साक्ष्यों के पश्चात सावधान किया गया है कि क़ुरआन मात्र याद-दहानी है। इस विश्व में इसके सत्य होने के सभी लक्षण सबके सामने हैं। इनका अध्ययन करके स्वयं सत्य की राह अपना लो, अन्यथा अपना ही बिगाड़ोगे।