Surah Quraisy
بِسْمِ اللّٰهِ الرَّحْمٰنِ الرَّحِيْمِ
لِاِيْلٰفِ قُرَيْشٍۙ١
Li'īlāfi quraisy(in).
[1]
क़ुरैश को मानूस कर देने के कारण।
اٖلٰفِهِمْ رِحْلَةَ الشِّتَاۤءِ وَالصَّيْفِۚ٢
´lāfihim riḥlatasy-syitā'i waṣ-ṣaif(i).
[2]
उन्हें जाड़े तथा गर्मी की यात्रा से मानूस कर देने के कारण।1
1. (1-2) गर्मी और जाड़े की यात्रा से अभिप्राय गर्मी के समय क़ुरैश की व्यपारिक यात्रा है, जो शाम और फ़लस्तीन की ओर होती थी। और जाड़े के समय वे दक्षिण अरब की यात्रा करते थे, जो गर्म क्षेत्र है।
فَلْيَعْبُدُوْا رَبَّ هٰذَا الْبَيْتِۙ٣
Falya‘budū rabba hāżal-bait(i).
[3]
अतः उन्हें चाहिए कि इस घर (काबा) के मालिक की इबादत करें।2
2. इस घर से अभिप्राय काबा है। अर्थ यह है कि यह सुविधा उन्हें इसी घर के कारण प्राप्त हुई। और वह स्वयं यह मानते हैं कि 360 मूर्तियाँ उनकी रब नहीं हैं, जिनकी वे पूजा कर रहे हैं। उनका रब (पालनहार) वही है, जिसने उनको अबरहा के आक्रमण से बचाया। और उस युग में जब अरब की प्रत्येक दिशा में अशांति का राज्य था मात्र इसी घर के कारण इस नगर में शांति है। और तुम इसी घर के निवासी होने के कारण निश्चिंत होकर व्यापारिक यात्राएँ कर रहे हो, और सुख-सुविधा के साथ रहते हो। क्योंकि काबे के प्रबंधक और सेवक होने के कारण ही लोग क़ुरैश का आदर करते थे। तो उन्हें स्मरण कराया जा रहा है कि फिर तुम्हारा कर्तव्य है कि केवल उसी की उपासना करो।
الَّذِيْٓ اَطْعَمَهُمْ مِّنْ جُوْعٍ ەۙ وَّاٰمَنَهُمْ مِّنْ خَوْفٍ ࣖ٤
Allażī aṭ‘amahum min jū‘(in), wa āmanahum min khauf(in).
[4]
जिसने उन्हें भूख में खिलाया तथा उन्हें भय से सुरक्षित किया।