Surah Al-Humazah
بِسْمِ اللّٰهِ الرَّحْمٰنِ الرَّحِيْمِ
وَيْلٌ لِّكُلِّ هُمَزَةٍ لُّمَزَةٍۙ١
Wailul likulli humazatil-lumazah(tin).
[1]
विनाश है प्रत्येक बहुत ग़ीबत करने वाले और बहुत दोष लगाने वाले के लिए।
ۨالَّذِيْ جَمَعَ مَالًا وَّعَدَّدَهٗۙ٢
Allażī jama‘a mālaw wa ‘addadah(ū).
[2]
जिसने धन एकत्र किया और उसे गिन-गिन कर रखा।
يَحْسَبُ اَنَّ مَالَهٗٓ اَخْلَدَهٗۚ٣
Yaḥsabu anna mālahū akhladah(ū).
[3]
वह समझता है कि उसके धन ने उसे हमेशा रहने वाला बना दिया?1
1. (1-3) इन आयतों में धन के पुजारियों के अपने धन के घमंड में दूसरों का अपमान करने और उनकी कृपणता (कंजूसी) का चित्रण किया गया है, उन्हें चेतावनी दी गई है कि यह आचरण विनाशकारी है, धन किसी को संसार में सदा जीवित नहीं रखेगा, एक समय आएगा कि उसे सब कुछ छोड़ कर ख़ाली हाथ जाना पड़ेगा।
كَلَّا لَيُنْۢبَذَنَّ فِى الْحُطَمَةِۖ٤
Kallā layumbażanna fil-ḥuṭamah(ti).
[4]
कदापि नहीं, वह अवश्य 'ह़ुतमा' में फेंका जाएगा।
وَمَآ اَدْرٰىكَ مَا الْحُطَمَةُ ۗ٥
Wa mā adrāka mal-ḥuṭamah(tu).
[5]
और तुम क्या जानो कि वह 'हुतमा' क्या है?
نَارُ اللّٰهِ الْمُوْقَدَةُۙ٦
Nārullāhil-mūqadah(tu).
[6]
वह अल्लाह की भड़काई हुई आग है।
الَّتِيْ تَطَّلِعُ عَلَى الْاَفْـِٕدَةِۗ٧
Allatī taṭṭali‘u ‘alal-af'idah(ti).
[7]
जो दिलों तक जा पहुँचेगी।
اِنَّهَا عَلَيْهِمْ مُّؤْصَدَةٌۙ٨
Innahā ‘alaihim mu'ṣadah(tun).
[8]
निःसंदेह वह उनपर बंद कर दी जाएगी।
فِيْ عَمَدٍ مُّمَدَّدَةٍ ࣖ٩
Fī ‘amadim mumaddadah(tin).
[9]
लंबे-लंबे स्तंभों में।2
2. (4-9) इन आयतों के अंदर परलोक में धन के पुजारियों के दुष्परिणाम से अवगत कराया गया है कि उनको अपमान के साथ नरक में फेंक दिया जाएगा। जो उन्हें खण्ड कर देगी और दिलों तक जो कुविचारों का केंद्र हैं पहुँच जाएगी, और उसमें इन अपराधियों को फेंककर ऊपर से बंद कर दिया जाएगा।